बसंत की पूर्वसंध्या पर जब मौसम फिर कडाके की ठण्ड का दुबारा उद्घोष करने लगा| बहुत तेज ठंडी हवाओं ने, बादलों ने घुमड़ घुमड़ कर काला घना रूप ले लिया और दामिनी उस अंधियारी रात को अट्टहास करती अपने तीखी दन्त पंक्तियों को रात के अन्धकार में कड़क कड़क कर चमकाने लगी| आकाश से गिरती तेज बारिश ने रात के स्याह आँचल को बर्फीला बना दिया | बसंत के आगमन पर सर्दी का ये भयंकर लगने वाला तांडव नृत्य दिल को कंपा गया | तब गिरती बूंदों के साथ विचारों के कुछ बुलबुले मनमस्तिष्क पर उभरने लगे कि क्यों ये बसंत देर कर रहा है आने में।
सभी स्नेही मित्रों को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें ।
Saturday, 24 January 2015
भारत माता के आँगन में नया बसंत आ गया.....
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